Saturday, July 3, 2010

गज़ल - दाता जल दे








दाता   जल   दे


थोडा   कल   दे.


क्यों है  गरमी

कुछ तो हल दे .


जलता  तन  है

जल  शीतल  दे.


बरसें   बादल

तू वो पल दे.


है   तू   पालक

तो फिर बल दे.


तुझ   को  पूजा

तू अब फल दे .


दे   दे   अब  ही

या   तू   कल दे .


महके    धरती

जीवन  चल   दे .




कल-चैन(आराम) ,  पालक- पालनेवाला(GOD)

अब-आज या अभी,      कल- Tomorrow

32 comments:

  1. छोटी बहर में ग़ज़ल कहना बहुत मुश्किल काम होता है लेकिन आपने इसे बखूबी निभाया है...बेहतरीन शेर कहे हैं...मेरी दाद कबूल करें...
    नीरज

    ReplyDelete
  2. Sach..kam alfaaz aur bahut sundar,saral gazal..!

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत....ऐसा लगा कि नन्ही नन्हीं बूँदें बरस रही हों

    ReplyDelete
  4. पैरोडी जैसी रचना बहुत ही सुन्दर बन पड़ी है!

    ReplyDelete
  5. डॉ साब,
    मेरी भी दुआ शामिल कर लीजिये.....
    टूट के बरसे इस बार पानी!
    मिट जाएँ पुरानी सारी निशानी!
    कुछ ऐसा असर करे आब-ओ-अब्र,
    शुरू कर पाऊँ कोई नयी कहानी!

    ReplyDelete
  6. दाता जल दे ......दाता जल दे ..........
    सही समय पर आप ने दुआ की है, सच मे बहुत गर्मी है
    बरसात की बहुत ज़रूरत है.
    छोटी बहर मे बडी खूबसूरत गज़ल कही है,
    मेरी दाद कबूल करें...

    ReplyDelete
  7. डॉ साहब
    बहुत ही जोखिम भरा काम
    आपने बड़ी मेहनत और जिम्मेदारी से कर दिखाया है
    इतनी छोटी बहर लेकर क्या शेर कहे हैं ... वाह !
    और.... " थोड़ा कल दे " का तो जवाब ही नहीं है
    ग़ज़ल कहने का शानदार सलीक़ा
    आपने कामयाबी से हम सब तक पहुंचाया है
    आपकी दुआएं क़बूल हों ... हम सब यही दुआ करते हैं
    मुबारकबाद .

    ReplyDelete
  8. शानदार गज़ल, हर एक शेर खूबसूरत,
    मौसम के मिज़ाज से मेल खाता हुआ.
    बधाई हो........
    क्यों है गरमी
    कुछ तो हल दे .....दाता जल दे .......

    ReplyDelete
  9. है तू पालक

    तो फिर बल दे.


    तुझ को पूजा

    तू अब फल दे .

    दुआ ही ही उम्मीद की आखिरी सीढ़ी है ....उम्मीद भी उसी से की जा सकती है .....!!!

    बहुत सुंदर भाव ईश्वर के प्रति ......आमीन ...!!

    ReplyDelete
  10. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  11. :) ab bhali hai ek dum nirdosh.. bachhjon ki aankhon si ghazal ..

    ReplyDelete
  12. दाता जल दे
    थोडा कल दे.

    तुझ को पूजा
    तू अब फल दे

    महके धरती
    जीवन चल दे .

    bahut sundar gazal kahee hai
    wah wah......
    ye sher meri pasand ke hain.

    ReplyDelete
  13. चंद लफ़्ज़ों में बात कहने की,
    हमको आदत मिली ज़हीनों में।
    बड़ी खूबसूरती से निबाह किया है छोटी बह्र का।

    ReplyDelete
  14. waah bahut sundar ! chhote chhote vaky arth bhare ..!

    ReplyDelete
  15. डॉक्टर साहब
    क्या कहने !
    सुभानल्लाह !
    दाता जल दे
    थोडा कल दे

    शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

    ReplyDelete
  16. yachna ko khoobsoorati se ukera hai aapne

    ReplyDelete
  17. गहरी बात....
    चंद शब्दों में...
    गागर में सागर....
    वाह !

    हरदीप

    ReplyDelete
  18. shandaar hai gazal,
    bahut sundar shabd chayan,
    chhoti si bahar main kamaal likha hai.
    wah wah wah wah........

    ReplyDelete
  19. वाक़ई छोटी बहर में बहुत ख़ूबसूरती से अपनी बात कही है आप ने ,

    है तू पालक

    तो फिर बल दे.


    तुझ को पूजा

    तू अब फल दे .

    याचना का ये तरीक़ा भी अलग ही है

    ReplyDelete
  20. समझ सकूँ मैं
    मुझे अकल दे !

    सुन्दर लिखा है भाई आपने ! छोटी बहर को साधना और बड़ी चुनौती है ! आभार !

    ReplyDelete
  21. इतनी छोटी बहर मे भी इतने शानदार शेर? वाह आपकी कलम का कमाल है। सभी अशार दिल को छू गये। बधाई

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर रचना। वाह!

    ReplyDelete
  23. बहुत सुन्दर कल्पना और कृति

    ReplyDelete
  24. अजमल भाई, छोटी बहर में कमाल कर दिया आपने।
    ................
    नाग बाबा का कारनामा।
    व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?

    ReplyDelete
  25. भाई इतने लोग जब कहते हैं तो बिल्कुल सही ही कहते हैं..पूरी ग़ज़ल मे कड़ी गरमी से त्रस्त दुनिया की बारिश के लिये आर्द्र फरियाद सी शिद्दत है..छोटी बह्र के जादू मे आपने निहायत खूबसूरती से जज्बात को साधा है..और शब्दों को किफ़ायत से इस्तेमाल करते हुए प्यासे इंसान की पुकार को सुर दिया है..उम्मीद है दाता ने भी पुकार सुनी होगी..और यह मिस्रे असर कर रहे होंगे..

    महके धरती
    जीवन चल दे .

    ReplyDelete
  26. छोटी बहर वो भी इतनी छोटी .... कमाल की ग़ज़ल है ....

    ReplyDelete
  27. अजमल भाई, इतनी छोटी बहर में आपने सचमुच कमाल कर दिया। बहुत बहुत बधाई।
    --------
    ये साहस के पुतले ब्लॉगर।
    व्यायाम द्वारा बढ़ाएँ शारीरिक क्षमता।

    ReplyDelete
  28. बहुत ही बढ़िया लगी ग़ज़ल, पढ़ कर मज़ा आ गया।

    ReplyDelete