पिता वो हैं जो जीवन
राह पे चलना सिखाते हैं ।
डगर कैसी भी हो हर
हाल में बढ़ना सिखाते हैं ।
जो हम गिरते संभलते हैं
वो बढ़कर थाम लेते हैं ।
हमारी हार में भी धैर्य
से वो काम लेते हैं ।
कभी पलकों में रखते हैं
कभी दिल में बसाते हैं ।
हमारे अनगिनत सपने
वो आँखों में सजाते हैं ।
हमारी हर ख़ुशी उनके
हृदय में जोश देती है ।
हमारी छोटी सी गलती
भी उनको होश देती है ।
वो तजते हैं सभी खुशियाँ
हमारे ज्ञान की खातिर ।
वो हम को डांटते केवल
हमारे मान की खातिर ।
हमारे कच्चे मन को
दुनिया के दुःख से बचाते हैं ।
हमारे साथ हँसते हैं
हमारे साथ गाते हैं ।
वो बुधि दे हमें दाता
सदा हम मान रख पांये ।
समय कैसा भी हो
हर हाल में हम ध्यान रख पांये ।
बड़ा मज़बूत और सच्चा
सहारा हम बने उनका ।
हर एक मुश्किल में राहत
का किनारा हम बने उनका ।
बड़े होकर के पापा का
करें सिर गर्व से ऊँचा ।
रखें अपने को ऊँचा और
अपने घर को हम ऊँचा ।
यही “माहक” की श्रद्धा है
यही उसका समर्पण है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
डॉक्टर अजमल हुसैन खान साहब
ReplyDeleteपिता दिवस को समर्पित आपकी भावपूर्ण नज़्म के लिए हार्दिक बधाई ! आभार ! शुभकामनाएं !
पूरी रचना शिल्प और कथ्य के दृष्टिकोण से भी पूर्ण यानी मुकम्मल है । और भाव के दृष्टिकोण से तो मन को छू लेने वाली है ही ।
बहुत बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं ।
आपके स्वर्गीय वालिदैन मोहतरम की आत्मा की शांति के लिये परम पिता परमात्मा से प्रार्थना है !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
भावविभोर कर दिया आप ने , सुंदर रचना , बहुत शुभकामनाए.....
ReplyDeleteहम आप के मम्मी ,पापा के लिये इश्वर से प्रार्थना करते हैं
इश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.
बहुत उम्दा!
ReplyDeleteआप के सच्चे जज़्बों की सच्ची अभिव्यक्ति
दिल को छूती है ये भावनात्मक रचना
ख़ुदा आप के वालेदैन को जवारे रहमत में जगह दे ,उन की रूहों को सुकून अता करे,आमीन
sahi mauke par sateek rachna. atiuttam.
ReplyDeletehum aapke वालिदैन की आत्मा की शांति के लिये उस परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना karte hain. aameen .
May their souls rest in peace !
ReplyDeleteअजमल जी आने में जरा देर हुई क्षमा चाहती हूँ .....
ReplyDeleteबड़ी छोटी उम्र में आप माता पिता से महरूम हो गए ....कोई खास वजह ....?
दिवंगत आत्माओं के लिए खुदा से दुआ है .....!!
माता -पिता के लिए लिखी कविता उतनी ही पाक और साफ़ होती है जितने माता पिता ......आमीन ....!!
आपका चिट्ठा अत्यंत रोचक है.. मैने भी एक प्रयास किया है अपनी रचान्ये लिखने का...आपकी समालोचनात्मक टिप्पणी मुझे आगे बढ़ने में मादा करेंगी कृपया पढ़ें एवं बतलायें कैसा लगा मेरा चिट्ठा
ReplyDeletehttp://sunhariyaadein.blogspot.com/2010/06/blog-post.html
the latest post of mine is also on father...and that is in hindi... i would like to have ur critical cmmnts...
ReplyDeletehttp://sunhariyaadein.blogspot.com/2010/06/blog-post.html
thnk you evry1... and i m new in the blog world.. so i ask pardon.. if i m making some mistakes...
पिता वो हैं जो जीवन
ReplyDeleteराह पे चलना सिखाते हैं ।
डगर कैसी भी हो हर
हाल में बढ़ना सिखाते हैं ।
जो हम गिरते संभलते हैं
वो बढ़कर थाम लेते हैं ।
हमारी हार में भी धैर्य
से वो काम लेते हैं ।
कभी पलकों में रखते हैं
कभी दिल में बसाते हैं ।
हमारे अनगिनत सपने
वो आँखों में सजाते हैं ।
पिता और बेटे के भाव्नात्मक लगाव को दर्शाती अतिसुंदर रचना .
काव्य की नज़र से भी पूरी रच्ना , बहुत बहुत बधाई.
हम दिवंगत आत्माओं के लिए खुदा से दुआ करते हैं
खुदा उनकी आत्मा को शांति दे.
हमारे अनगिनत सपने
ReplyDeleteवो आँखों में सजाते हैं ।
क्या कहूँ अजमल साब..नज्म तो अच्छी है ही मगर उसके अंत का अनुरोध गहरे तक छील देता है..हर दुनियावी खुशी के पीछे एक अतल दुख होता है..और उसकी चाहना मे भी एक अधूरा सा दुख छुपा होता है..मगर जब ऊपर वाला हमें जिंदगी की उन तमाम गमज़दा चीजों का सामना करने की ताकत देता है..तो फिर उन यादों की खुशगवारी ही हमारे साथ रह जाती है..ऐसी ही यादों की खूबसूरती आप की जिंदगी की राहें हमेशा रोशन किये रहें..बस!!
भाई रजेंद्र जी, इश्मत जी,इंतेहा जी, हरकीरत जी, दिव्या जी,स..र जी,अभिनव जी, टी.साहब जी और भाई अपूर्व जी
ReplyDeleteआप सब का मैं बहुत आभारी हूँ.
अजमल जी, आपकी पंक्तियों ने बाँध लिया, आप नेकदिल और हस्सास व्यक्ति हैं... दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
ReplyDeleteसुलभ
हमारी संवेदनाओं के तार झंकृत हो उठे।
ReplyDelete---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
जो पिता को नहीं समझ पाया परमात्मा को नहीं समझ सकता।
ReplyDeletehttp://rajey.blogspot.com/
बहुत मार्मिक , और सुंदर रचना....
ReplyDeleteदिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
खु़दा आपके वालिद और वालिदा को जन्न्त बक्शे।
ReplyDeleteप्रेरणादायी पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें।
फादर्स डे पर आप की यह कविता दिल को छू गई । बहुत ही प्रेरक रचना ।
ReplyDeleteआपके माता पिता को खुदा सुकूँ दे ।
ReplyDeletebadhiya nazm ke liye mubarakbad.
ReplyDeleteखु़दा आपके वालिद और वालिदा को जन्न्त बक्शे।
pita par aap ki gazal behad khoobsurat bani hai ..aapne apane vaalidaan ko shiddat se yaad kiya inase badhkar duniya men koi aur hota bhi nahin .. iishwar unaki aatma ko sukhi rakhe ..
ReplyDeleteमाँ अगर पलती है तो पिता चलना सिखाते है।
ReplyDeleteजब हम किसी से लड़ते है तो पहले पिता ही याद आते है।
माँ से हम्हे अगर शिक्षा मिलती है तो पिता से हमे ताकत।
एक पिता ही है जो अपने पुत्र के लिए अपना सबकुछ हार जाता हैं।
माँ अगर पलती है तो पिता चलना सिखाते है।
ReplyDeleteजब हम किसी से लड़ते है तो पहले पिता ही याद आते है।
माँ से हम्हे अगर शिक्षा मिलती है तो पिता से हमे ताकत।
एक पिता ही है जो अपने पुत्र के लिए अपना सबकुछ हार जाता हैं।