पिता वो हैं जो जीवन
राह पे चलना सिखाते हैं ।
डगर कैसी भी हो हर
हाल में बढ़ना सिखाते हैं ।
जो हम गिरते संभलते हैं
वो बढ़कर थाम लेते हैं ।
हमारी हार में भी धैर्य
से वो काम लेते हैं ।
कभी पलकों में रखते हैं
कभी दिल में बसाते हैं ।
हमारे अनगिनत सपने
वो आँखों में सजाते हैं ।
हमारी हर ख़ुशी उनके
हृदय में जोश देती है ।
हमारी छोटी सी गलती
भी उनको होश देती है ।
वो तजते हैं सभी खुशियाँ
हमारे ज्ञान की खातिर ।
वो हम को डांटते केवल
हमारे मान की खातिर ।
हमारे कच्चे मन को
दुनिया के दुःख से बचाते हैं ।
हमारे साथ हँसते हैं
हमारे साथ गाते हैं ।
वो बुधि दे हमें दाता
सदा हम मान रख पांये ।
समय कैसा भी हो
हर हाल में हम ध्यान रख पांये ।
बड़ा मज़बूत और सच्चा
सहारा हम बने उनका ।
हर एक मुश्किल में राहत
का किनारा हम बने उनका ।
बड़े होकर के पापा का
करें सिर गर्व से ऊँचा ।
रखें अपने को ऊँचा और
अपने घर को हम ऊँचा ।
यही “माहक” की श्रद्धा है
यही उसका समर्पण है ।
Saturday, June 19, 2010
Tuesday, June 8, 2010
गज़ल- रंग- ए - दुनिया
देख बाग़-ए- बहार है दुनिया
चमचमाता निखार है दुनिया ।
कौन जाने किसे मिले क्या क्या
एक खुला सा बज़ार है दुनिया ।
जेब में नोट और दिल खाली
वाह क्या माल दार है दुनिया ।
क्यों ज़रा भी सुकूं नहीं दिल में
देख तो लालाज़ार है दुनिया ।
शान वाले कहाँ गये देखो
अब न वो शानदार है दुनिया ।
कुछ न पूंछो कि हो गया है क्या
हो गई क्यों शिकार है दुनिया ।
भागती जा रही कहाँ देखो
रेत पर क्यों सवार है दुनिया ।
दिल दुखाते कभी कभी अपने
रो रही ज़ार ज़ार है दुनिया ।
क्यों बिला वजह बन गये दुश्मन
दामन- ए- दाग़ दार है दुनिया ।
जो गुज़र कर चला गया पीछे
वक़्त की याद ग़ार है दुनिया ।
हम कभी बोलते नहीं "माहक"
पूछती बार बार है दुनिया ।
चमचमाता निखार है दुनिया ।
कौन जाने किसे मिले क्या क्या
एक खुला सा बज़ार है दुनिया ।
जेब में नोट और दिल खाली
वाह क्या माल दार है दुनिया ।
क्यों ज़रा भी सुकूं नहीं दिल में
देख तो लालाज़ार है दुनिया ।
शान वाले कहाँ गये देखो
अब न वो शानदार है दुनिया ।
कुछ न पूंछो कि हो गया है क्या
हो गई क्यों शिकार है दुनिया ।
भागती जा रही कहाँ देखो
रेत पर क्यों सवार है दुनिया ।
दिल दुखाते कभी कभी अपने
रो रही ज़ार ज़ार है दुनिया ।
क्यों बिला वजह बन गये दुश्मन
दामन- ए- दाग़ दार है दुनिया ।
जो गुज़र कर चला गया पीछे
वक़्त की याद ग़ार है दुनिया ।
हम कभी बोलते नहीं "माहक"
पूछती बार बार है दुनिया ।
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