Saturday, June 19, 2010

पिता

पिता वो हैं जो जीवन


राह पे चलना सिखाते हैं ।

डगर कैसी भी हो हर

हाल में बढ़ना सिखाते हैं ।

जो हम गिरते संभलते हैं

वो बढ़कर थाम लेते हैं ।

हमारी हार में भी धैर्य

से वो काम लेते हैं ।

कभी पलकों में रखते हैं

कभी दिल में बसाते हैं ।

हमारे अनगिनत सपने

वो आँखों में सजाते हैं ।

हमारी हर ख़ुशी उनके

हृदय में जोश देती है ।

हमारी छोटी सी गलती

भी उनको होश देती है ।

वो तजते हैं सभी खुशियाँ

हमारे ज्ञान की खातिर ।

वो हम को डांटते केवल

हमारे मान की खातिर ।

हमारे कच्चे मन को

दुनिया के दुःख से बचाते हैं ।

हमारे साथ हँसते हैं

हमारे साथ गाते हैं ।

वो बुधि दे हमें दाता

सदा हम मान रख पांये ।

समय कैसा भी हो

हर हाल में हम ध्यान रख पांये ।

बड़ा मज़बूत और सच्चा

सहारा हम बने उनका ।

हर एक मुश्किल में राहत

का किनारा हम बने उनका ।

बड़े होकर के पापा का

करें सिर गर्व से ऊँचा ।

रखें अपने को ऊँचा और

अपने घर को हम ऊँचा ।

यही “माहक” की श्रद्धा है

यही उसका समर्पण है ।

Tuesday, June 8, 2010

गज़ल- रंग- ए - दुनिया

देख  बाग़-ए- बहार   है दुनिया

चमचमाता निखार है दुनिया ।


कौन जाने किसे मिले क्या क्या

एक खुला सा बज़ार है दुनिया ।


जेब में नोट और दिल खाली

वाह क्या माल दार है दुनिया ।


क्यों ज़रा भी सुकूं नहीं दिल में

देख तो लालाज़ार है दुनिया ।


शान   वाले   कहाँ   गये  देखो

अब न वो शानदार है दुनिया ।


कुछ न पूंछो कि हो गया है क्या

हो गई क्यों शिकार है दुनिया ।


भागती   जा   रही   कहाँ  देखो

रेत पर क्यों सवार है दुनिया ।


दिल दुखाते कभी कभी अपने

रो रही   ज़ार ज़ार  है दुनिया ।


क्यों बिला वजह  बन गये दुश्मन

दामन- ए- दाग़  दार  है   दुनिया ।


जो गुज़र कर चला गया पीछे

वक़्त की याद ग़ार है दुनिया ।


हम कभी बोलते नहीं "माहक"

पूछती  बार   बार   है   दुनिया ।